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शहर को स्वच्छ रखने के मामले मैं अधिकतर लोग एवं खास तौर पर स्थानीय निकाय चिंतित रहते है. प्रश्न है कि इसका सही व सुलभ समाधान क्या हो सकता है ? इस प्रश्न पर एक आम नागरिक होने के कारण मैने भी विचार किया. इस बीच मैने जो देखा और समझा उसके अनुसार लोग इस पहल मैं अपना योगदान देना चाहते हैं। परन्तु वह कहते हैं की स्थानी निकायों को उन्हें कुछ सुविधायैं देनी चाहिये. इस हेतु कुछ सुझाव जो मेरे सामने आये है, उन्हैं मैं यहाँ पर लिख रहा हूँ । वर्तमान मैं जो कूड़े दान लगे हुवे हैं वह गंदगी के केन्द्र बन चुके हैं। वहां पर इतना कूड़ा आ जाता हैं कि वह कूड़ेदान मैं नहीं समा पाता. इस कारण लोग कूड़ादानों के पास न जाकर दूर से ही कूड़ा कूड़ादानों मैं फैक देते हैं. जिस कारण कूड़ा अस्त ब्यस्त होकर फै़ल जाता है और गन्दगी करता हैं. मैंने इंटरनेट मैं पढ़ा था कि 2006 के आस पास अमेरिका मैं यह महसूस किया गया की कूड़ेदान जिसे वहां ट्रैश (Trash) कहा जाता है, जब भर जाते थे तो वहां के लोग उसी के उपर कूड़ा डालते थे नतीजा कूड़ेदान के आस पास कूड़ा एकत्रित हो जाता था और वहां पर गंदगी का साम्राज्य स्थापित हो जाता था। इस प्रकार स्पस्ट है मानव ब्यवहार सब जगह ही एक सा ही होता है. इसलिये कूडे के मामले मैं जो हमारा ब्यवहार है वह कुछ अलग नहीं है! तब उन्होने सोलर ट्रैश रखने शुरू किये। इनमें कूड़े को कम्पैक्ट (compact) किए जाने के कारण 8 गुना कूड़ा इनमें समा जाता है. तथा कूड़ेदान भर जाने पश्चात सोलर से चलित यन्त्र से नगर पालिका को संदेश चला जाता है कि ट्रैश भर चुका है. संदेश प्राप्त होते ही ट्रैश से कूडा एकत्रित कर लिया जाता है . परंतु यह अपने शहर मैं संभव नहीं हो पायेगा, अतः निम्न सुझाव विचारणीय हो सकते है. (1) अनेक स्थानों एक एक मीटर उंचाई व समुचित चौडाई के दो दो ट्रैश लगाये जायैं. (नमूने के तौर पर एक ट्रैश की फोटो संलग्न है) एक ट्रैश पौलिथीन के लिये हो और दूसरा ट्रैश अन्य कचरे के लिये. इससे बड़े कूड़ेदानो का लोड भी कम हो जायेगा और वह कूड़ा बंट भी जायेगा। इस प्रकार के ट्रैश ऊपर से बंद हों तथा इन्हें खोलने के लिये ट्रैश के नीचे की तरफ पैर से दबाकर खोलने का लीवर का इंतजाम हो l चूंकि गन्दगी की तरफ कोई नहीं जाना चाहता इसलिये हमैं जनता को ट्रैश के पास तक जाने के लिये अlकर्षित करना होगा. इसलिये ट्रैश के पास सफाई का होना आवश्यकीय है. l (2) ब्यापारी व दुकानदार भाइयों से अनुरोध किया जाना चाहिये कि वह अपनी दुकान पर ट्रैश इस प्रकार रखैं कि बाजार मैं चलने वाला ब्यक्ति भी ट्रैश का उपयोग कर सके। आखिर बाजार मैं चलने वाला ब्यक्ति साधारणतया किसी न किसी का ग्राहक होता है। प्रत्येक ट्रैश से दिन मैं एक या दो बार अवश्यकता के अनुसार पालिका कूड़ा एकत्रित करवा सकती है. (3) जन जागरण एक सतत प्रक्रिया है. जनता जागरूक भी हो रही है. परन्तु जनता को लगातार जागरूक करना ही होगा. आपने भी देखा होगा, शादी बरातों मैं जहां समुचित मात्रा मैं ट्रैश रखे होते हैं वहाँ लोग गन्दगी नहीं करते है, परन्तु जहां ट्रैश बहुत कम होते हैं या नहीं होते वहा पूरे पंडाल मैं गन्दगी का साम्राज्य स्थापित हो जाता है. इसलिये समुचित मात्रा मैं ट्रैश का होना आवश्यकीय है. इस सम्बन्ध मैं मेरे इन सुझावों पर आपके विचारों का स्वागत है!
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