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रानीखेत की धरोहर (Heritage ) भालू डाम झील विकसित की जायेगी – बड़ोला
रानीखेत मैं तीन कृत्रिम झील है l भालू डाम, कालू गधेरा और तीसरी रानी झील जिसका निर्माण 10 साल पहले किया गया है l भालू डाम से चौबटिया व रानीखेत को पानी की आपूर्ति होती थी l भालू डाम का निर्माण अंग्रेजों द्वारा 1903 मैं किया गया था l 112 वर्ष बाद आज भी यह उत्तम अवस्था मैं है l सच तो यह है कि अब इस झील को रानीखेत की धरोवर (Heritage) एवं जंगल सफारी के रूप मैं सहेजा जाना चाहिए l
आधुनिक ट्रेंड के अनुसार पर्यटक अनछुवे स्थलों मैं भ्रमण के शौकीन है l यहाँ की वर्जिन (virgin) ब्यूटी देखते ही बनती है l इसलिए भालू डाम पर्यटकों की पसंद बन रहा है l चौबटिया से भालू डाम तक रोपवे निर्माण पर्यटकों के लिए एक अनोखी सौगात होगा l इसकी संभावना तलाशने हेतु निगम की एक टीम को भालू दाम का दौरा करना अपेक्षित है l चौबटिया से भालू डाम तक लगभग 3 किलोमीटर का ट्रैकिंग रूट निर्माण भी पथ भ्रमण शौक़ीन पर्यटकों के लिए श्रेयस्कर हो सकता है ! 1903 मैं ब्रिटिश वाईसरॉय द्वारा निर्मित उस समय दुर्लभ अर्ध-गोलाकार (Semi-Circular) डाम/लघु झील मैं मत्स्य आखेट तथा अनछुवे स्थल मैं देवदार, बांज, चीड़, बुरांश आदि के घने जंगलों के सुरम्य वातावरण मैं बेजोड़ फोटोग्राफी / वीडियोग्राफी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन सकती है l भालूडाम मैं लगभग 500 मीटर लंबा तथा लगभग 50 मीटर चौड़ा देव वृक्ष देवदार का जंगल है जिसे देववनी के नाम से जाना जाता है l भालूडाम के विषय मैं मैंने 2008 मैं एक ब्लॉग भी लिखा था l लिंक है : http://merapahadforum.com/articles-by-esteemed-guests-of-uttarakhand/articles-by-shri-d-n-barola/84
रानीखेत से भालू डाम पहुँचने के लिए पहले चौबटिया / चौबटिया गार्डन जाना पड़ता है जो कि रानीखेत से मात्र 10 किलोमीटर दूरी है l यहाँ कार या बस से आसानी से पहुंचा जा सकता है l चौबटिया गर्दन से भालूडाम लगभग 3 किलोमीटर है l यह गहरी घाटी मैं स्थित है जहां पर देवदार, चीड़, बुरांश, बांज आदि का सदाबहार घना वनाच्छादित जंगल है l यह मनोहारी द्रश्य पर्यटकों को सम्मोहित करता है l इसी कारण इस स्थल को अंग्रेजों ने पिकनिक स्थल के रूप मैं विकसित किया था l इस स्थल तक पहुँचने हेतु जीप जाने योग्य सड़क पहले से ही है जिसका अब सुधार व पुनर्निर्माण आवश्यकीय है l यह सड़क लकड़ी कटान एवं घुड़सवारी के काम भी आती थी l अंग्रेजों ने यहाँ पर पिकनिक करने हेतु कुछ स्थानों पर हट निर्माण भी किया था जिनके अवशेष आज भी देखे जा सकते हैं l इस प्रकार यह दुर्लभ सेमी-सर्कुलर झील (Semi circular masonry dam ) अस्तित्व मैं आई l इस धानी रंग (emerald green) की झील की लम्बाई 70 मीटर है इसकी चौड़ाई 6.6 मीटर तथा गहराई लगभग 9.0 मीटर बताई जाती है l इस डाम अन्दर जाने के लिए 30 से ज्यादा सीड़ियाँ हैं l कुछ ही दूर पर एक ख़ूबसूरत छोटा सा समाप्तप्राय गार्डन के अवशेष भी दिखाई देते हैं , जिसे तुरंत रख रखाव की आवश्यकता है l इस गार्डन की चोटी से दो लघु मंदिर तथा कुछ भवन भी दिखाई देते हैं l
अंग्रेज इसमें नौका विहार करते थे l उस जमाने मैं बिजली न होने के कारण वाष्प (भाप) के इंजन से दो स्टेज पम्पिंग कर पहले नागपानी तक ग्रेविटी से फिर नागपानी से हाइयस्ट पॉइंट (Highest Point) जो कि 6,000 फीट से कुछ कम उंचाई पर स्थित है, फिर वहाँ से चौबटिया तक पानी पंप किया जाता था l और चौबटिया व माल रोड को पानी की आपूर्ति की जाती थी l आज भी चौबटिया को इसी पानी की आपूर्ति की जाती है !
भालू डाम के सदाबहार बन के शांत व निःशब्द वातावरण मैं शीतल मंद बयार के मधुर संगीत मैं पर्यटक पत्तों की सरसराहट चिड़ियों का चहचहाना, जंगली जानवरों की विभिन्न प्रकार की आवाजें सुन कर रोमांचित होते है l यह स्थान पिकनिक, फिशिंग (मत्स्य आखेट) और शांत वातारण मैं सुस्ताने और विश्राम करने हेतु बहुत पसंद की जाती है l
चौबटिया निवासी श्री पदम् सिंह फर्तियाल जिनका बचपन ही चौबटिया व भालू डाम मैं बीता है बतलाते हैं कि उन्हें अच्छी तरह से याद है कि 1966-67 मैं मुन्ना लाल चौकीदार की हट भी भालूडाम मैं थी, जिसे चौकीदार हट के नाम से ही जाना जाता था l उस समय भालू डाम मैं नौकायन हेतु दो नावें थी l वह समय भालू डाम मैं खूब चहल पहल रहती थी l तब चौबटिया तथा मॉल रोड को भालू डाम के इस विशुद्ध श्रोत के पानी (Spring Water) की आपूर्ति की जाती थी l चौबटिया भालू डाम मैं एम इ एस का वन टन ट्रक (One Ton Truck) पिलखोली के बचे सिंह ड्राईवर चलाते थे l उस समय इस सड़क का रख रखाव एम इ एस द्वारा किया जाता था l परन्तु 1973 के आस पास गगास नदी से गगास योजना प्रारंभ होने के पश्चात भालूडाम क्षेत्र उपेक्षित सा हो गया l फर्तियाल का कहना है कि वर्तमान मैं भालूडाम से लगभग 5 इंच पानी का रिसाव हो रहा है l यदि भालू डाम की मरम्मत कर इस 5 इंच पानी के लीकेज को समाप्त कर दिया जाय तो रानीखेत मैं पानी की बहुतायत हो जायेगी l
इस सबसे प्रभावित हो मैंने भी कुमायूं मंडल विकास निगम के निदेशक के रूप मैं इसके पुनरुत्थान का प्रस्ताव माननीय मुख्य मंत्री श्री हरीश रावत को 7 मई , 2015 को दिया है l मुख्य मंत्री जी ने रानीखेत मैं पर्यटन को बढ़ावा देने मैं रूचि दिखाई है l अब इस मामले को कुमायूं मंडल विकास निगम के बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स की बैठक रख कर इस स्वीकृत कराने का प्रयास किया जाएगा l .
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