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Ayurved under Allopath, Why ?

D.N.Barola
D.N.Barola
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आयुर्वेद एलोपैथ के अंतर्गत क्यों ?
माननीय मुख्य मंत्री, उत्तराखण्ड, श्री हरीश रावत जी के नाम खुला पत्र !
महोदय, याद कीजिये इस आयुष प्रदेश को आपके नेत्रत्व मैं गरिमा एवं आपकी पहल पर गति मिली है तथा कीड़ा जड़ी जैसी बूटी को विश्व मैं प्रसिद्धि एवं पहिचान मिली है !

महोदय ! याद कीजिये वह क्षण जब धरती पर एक नवजीवन शिशु के रूप मैं उदित होता है तो सबसे पहले शिशु की पहली किल्कारी की आवाज के साथ ही वह आयुर्वेद के सरंक्षण मैं आ जाता है ? सर्वप्रथम शिशु की नाल काटने के पश्चात नाभि मैं हल्दी का लेप किया जाता है ? उसके बाद शिशु को फिटकारी के पानी से स्नान कराया जाता है ! फिर रुई मैं शहद भिगोकर शिशु को उसका पहला भोजन कुछ बूँद शहद चटाया जाता है ! हल्दी, फिटकरी व शहद इन तीनों का ही आयुर्वेद मैं बहुत बड़ा महत्व है ! इसके पश्चात जरूरत पड़ने पर शिशु को बाल जीवन घुट्टी व अमृत धारा पिलाई जाती है ! इन पांच दवाओं का शिशु के जीवन मैं कितना महत्व है यह आप जानते हैं !
जन्म के होते ही आयुर्वेद का साथ ! यह है आयुर्वेद की हमारे जीवन मैं महत्ता ! शिशु की जननी को प्रसव काल मैं अशोकारिष्ट व प्रसव के बाद दसमूलारिष्ट, पजीरी आदि दी जाती है ! शिशु की देखभाल की यह प्रथा हमारे समाज मैं पुरातन काल से प्रचलित है ! यदि हम यह कहें कि हर शिशु “आयुर्वेद शिशु” होता है तो अतिशयोक्ति नहीं होगी ! उस आयुर्वेद को आयुर्वेद की ही धरती मैं आयुर्वेद को दो नम्बर की चिकित्सा पद्धति बनाने हेतु आपके नेतृत्व मैं उत्तराखण्ड सरकार के कदम आगे बढ़ रहे हैं ! कैसा विरोधाभास है !

महोदय आपने रामलीला को प्रोत्साहित करने हेतु प्रोत्साहन राशि की घोषणा की है ! जिसका सबने ही स्वागत किया है ! इसलिए महोदय याद कीजिये लक्ष्मण शक्ति का वह द्रश्य जिसमें हनुमान ‘संजीवनी बूटी’ लाते हैं और सुषेण वैद्य लक्ष्मण को जीवन दान देते हैं ! क्या ऐलोपथ चिकित्सा मैं ऐसी कोई दवा है जो शक्ति प्रहार से किसी को जीवन दान दे सके ?
हिमालय आयुर्वेद की जन्मस्थली है !सरकार ने इसे आयुष प्रदेश घोषित किया है ! जड़ी बूटी के भण्डार देव भूमि उत्तराखण्ड से त्रिदेव ब्रह्मा द्वारा महर्षि धन्वन्तरी को प्राप्त ज्ञान की इस परंपरा को एलोपथिक विश्वविद्यालय के अंतर्गत रख इसे आप अनजाने मैं ही उत्तराखण्ड से मिटाने का प्रयास तो नहीं कर रहे हैं ? आपके इस फैसले के अनुसार उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय को एच एन बहुगुणा मेडिकल कालेज मैं समाहित (merge) कर दिया जाएगा तथा इसे एक डीन के अंतर्गत रखा जाएगा l उत्तराखण्ड की जनता, कांग्रेस जन, आयुर्वेद डॉक्टर एवं अन्य कर्मी सरकार के इस फैसले से व्यथित एवं उद्वेलित है !
एक और जहां उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कैम्पस की स्थापना कुमायूं क्षेत्र के रानीखेत मैं खोले जाने हेतु आपका प्रयास जारी है और दूसरी तरफ आयुर्वेद विश्वविद्यालय का अस्तित्व को ही समाप्त करने का सरकार का फैसला है ! यदि आयुर्वेद को एलोपथिक चिकित्सा के अंतर्गत रखा जाता है तो पहले से ही उपेक्षित आयुर्वेद का समूल रूप से उपेक्षित हो जाना अवश्यम्भावी है ! आयुर्वेद का विकास तभी संभव है जब आयुर्वेद एक स्वतंत्र संस्था के रूप मैं कार्य करे ! सरकार के उक्त कदम से यह स्पस्ट सन्देश जाता है कि सरकार की वरीयता आयुर्वेद चिकित्सा को बढ़ावा देने की नहीं है ! यह सन्देश मात्र हमारे ऋषि मुनियों द्वारा प्रदिपादित आयुर्वेद चिकित्सा को बहुत नुकसान पहुंचा सकता है ! हमें लगता है की उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय को एचएन बहुगुना विश्वविद्यालय के साथ विलय का षड़यंत्र बहुराष्ट्रीय कंपनियों की साजिस का ही नतीना है क्योंकि वह भारत की 6.000 साल पुरानी पारंपरिक विधा आयुर्वेद को पनपने नहीं देना चाहते ! अतः आपसे हमारा अनुरोध है कि आयुर्वेद चिकित्सा को बढ़ावा देने हेतु आयुर्वेद को एक स्वतंत्र संस्था के रूप मैं कार्य करने दिया जाय तथा रानीखेत मैं विश्वविद्यालय का कैम्पस शीघ्रातिशीघ्र खोला जाय !
धन्यवाद !
डीएन बड़ोला, सदस्य गवर्निंग बॉडी/कार्यपालिका, उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय; निदेशक कुमायूं मंडल विकास निगम एवं अध्यक्ष प्रेस क्लब रानीखेत बड़ोला काटेज, रानीखेत मोबाईल 9412909980

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