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उत्तराखण्ड में दो – दो राजधानी हैं तो राज्य क्यों नहीं ?

D.N.Barola
D.N.Barola
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पहाड़ी राज हो ! कुमाउनी – गढ़वाली भाषा हो ! सब कुमाऊँनी -गढ़वाली बोलें ! गैरसैण राजधानी हो ! यही था स्वपना ! पर अफ़सोस ! नेताओं का तराई, हरिद्वार का लालच ले डूबा पहाड़ी राज को ! अब कहाँ है पहाड़ी राज ?
मेरी फेसबुक की इस पोस्ट के उत्तर में मुझे बहुत सारे कमेंट्स आये ! लोगों से उत्तर प्रत्युत्तर के पश्चात क्या उन प्रश्नों का समाधान नीचे लिखे शब्दों में हो सकता है ? प्रश्न है उत्तराखण्ड में दो – दो राजधानी क्यों बनाई गई हैं ? स्पस्ट है राजनेताओं के मन मैं कहीं न कहीं मैदानी और राजधानी की बात होगी ! अन्यथा दो दो राजधानी का क्या औचित्य ? राजधानी कहाँ होगी यह प्रश्न आज 17 साल बाद भी हल नहीं हो पाया है l इसलिए इसका हल दो राज्यों के निर्माण से ही हो सकता है ! अतः पर्वतीय राज्य का नाम हो सकता है “देवभूमि उत्तराखण्ड” क्योंकि देवभूमि पर्वतीय अंचल को ही कहते हैं, खास तौर पर गढ़वाल को ! मैदानी क्षेत्र को नहीं ! इसलिए मैदानी राज्य का नाम उत्तराखण्ड हो सकता है !
राजधानी गैरसैण का लगभग निर्माण हो चुका है ! 10-15 साल के लिए नया राज्य केंद्र शासित राज्य होना चाहिए ! मैदानी क्षेत्र की राजधानी देहरादून है और रहेगी ! एक सुझाव यह भी मिला था कि मैदानी इलाके को हरित प्रदेश में शामिल किया जाय, जिस पर जनता की राय ली जा सकती है l कुछ लोग कह रहे हैं यह सब कुछ नहीं हो सकता ! मैं इस बात को मानता हूँ ! पर यह एक विचार है ! जब विचार जन्म लेता है तो कोई न कोई उस विचार को कभी न कभी ग्रहण कर लेता है ! इसे कार्यरूप में कौन परिणित करता है, करता है भी नहीं यह समय बताएगा ? इस समय मैदानी क्षेत्र के पहाड़ी भी गैरसैण राजधानी के पूर्णतया खिलाफ हैं ! कुमायूं के पहाड़ी क्षेत्र के लोग देहरादून से परेशान हैं ! प्रश्न है फिर दो राजधानी क्यों बनाई गई ? स्पष्ट है एक मैदान के लिए ही और एक पहाड़ के लिए ! कब तक हम राजधानी के मुद्दे पर लड़ते रहेंगे ? यह कटु सत्य है गैरसैण राजधानी नहीं हो सकती ! जब असाम में छोटे छोटे 7 राज्य बन सकते हैं तो उत्तराखण्ड में दो राज्य क्यों नहीं बन सकते ? अतः हमें प्रयास करना होगा ! सरकार भी पलायन के मुद्दे का हल चाहती है ! पलायन रोकने के लिए गैरसैंण का राजधानी बनाना आवश्यकीय एवं अनिवार्य है ! गैरसैण राजधानी बनने से पलायन की समस्या समाप्त हो सकेगी ! उल्टा पर्वतीय अंचल को पलायन प्रारंभ हो जायेगा l रोजगार स्रजन होगा ! युवाओं की बेरोजगारी कम होगी ! पलायन रोकना इसलिए भी आवश्यकीय है क्योंकि हमारी सरहदों पर दुश्मन देश लगातार घात लगाए रहते हैं ! वर्तमान में लोग पहाड़ छोड़ रहे है, यदि लोग इसी तरह पलायन करते रहे ! तो पहाड़ खाली हो जायेंगे और दुश्मनों की गतिविधियों का हमें पता भी नहीं चलेगा ! अतः उलटा पहाड़ों की ओर पलायन आवश्यकीय है ! हमने एक हल पेस किया है ! इसमें एक मत बने और कोई भी राजनैतिक दल इसे अपने अजेंडे में शामिल करे तो देर सबेर यह कार्य तो होना ही ही !
डी एन बड़ोला DN Barola, रानीखेत l सम्पर्क : 9412909980

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