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देवभूमि उत्तराखण्ड की राज भाषा कुमाऊँनी – गढ़वाली कैसे हो !

D.N.Barola
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देवभूमि उत्तराखण्ड की राज भाषा कुमाऊँनी – गढ़वाली कैसे हो !
कुमाऊँनी – गढ़वाली को संविधान की 8वीं सूची में शामिल करने हेतु इनका (1) मानकीकरण (2) शब्दकोश (3) व्याकरण, (4) उच्चारण शैली व (5) लिपि आदि आवश्यकीय है ! केवल नेताओं के ऊपर दवाब बना कर कुछ नहीं होगा ! संविधान की 8वीं सूची में तब ही स्थान मिलेगा जब कुमाऊँनी-गढ़वाली भाषा बनाने की अर्हता प्राप्त कर ले ! इसे हेतु सरकारी स्तर पर किये जायेंगे प्रयास ! लोक भाषा गढवाली-कुमाऊँनी के लिये मुख्य मंत्री हरीश रावत ने गौचर में लोक भाषा अकादमी की स्थापना की है । स्कूलो मे इन भाषाओ को पढाने के लिये सैलेबस तैयार हो रहा है । क्षेत्रीय फिल्मो के विकास हेतु फिल्म विकास परिषद गठन किया है ! इस प्रकार भाषा की समस्या हल हो सकेगी ! परन्तु एक बात स्पष्ट है यदि हम अपनी बोली को बोलेंगे ही नहीं तो इस राजभाषा का सम्मान देकर होगा क्या ? इसलिए हमें स्वयं, हमारे बच्चों को इन भाषाओं को बोलने के लिय प्रेरित करना होगा तब ही इन्हें राजभाषा का सम्मान देना सार्थक होगा ! पर क्या ऐसा होगा ? यह अहं प्रश्न है !
डी एन बड़ोला DN Barola, रानीखेत l सम्पर्क : 9412909980

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