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शराब मिले तो ख़राब, और न मिले तो भी ख़राब ! Prohibition – Wine

D.N.Barola
D.N.Barola
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शराब करे ख़राब ?
शराब मिले तो ख़राब, और न मिले तो भी ख़राब ! जी हाँ ! कल रानीखेत में भी शराब की दुकानें बंद हो गईं ! पर यह क्या हमें तो लगा था लोग शराब बंदी से खुश होंगे ! हमने बात चलाई तो एक व्यापारी बोले अरे देखिये न साब बाजार में तो रौनक ही नहीं है ! पहले से ही ठंडी रानीखेत बाजार बिलकुल ही ठंडी हो गई है ! बाजार में आदमी ही नहीं है तो दूकान क्या ख़ाक चलेगी ! हमारा तो बहुत नुकशान हो गया ! कुछ ऐसे हे शब्द अन्य व्यापारियों ने कहे ! हमने भी महसूस किया कि रानीखेत बाज़ार मैं फिलहाल तो ठलुए भी नहीं दिखलाई दे रहे हैं ! एक नेता टाइप व्यापारी बोले भाई साहेब लोग दारू की दूकान में भीड़ के कारण कुछ लोग इधर उधर दुकानों की तरफ रुख करते थे ! कुछ ठंडा पीते थे तो कुछ बच्चों के लिए टॉफ़ी या मिठाई आदि खरीदते थे ! शराब खरीदने के बाद कई लोग होटलों की तरफ रुख करते थे ! उनकी भी मीट, कलेजी, मुर्गे की बिक्री हो जाती थी ! दारू पीकर आदमी दिलेर हो जाता है इसलिए वह पैसे की परवाह नहीं करता और सबका ही धंधा चलता है ! चाय की दुकान मैं छोले समोशे की बिक्री हो जाती है ! पर फ़िलहाल जब तक नया ठेका नहीं हो जाता हमारा धंधा तो मंदा ही रहेगा ! बस उपर वाले से प्रार्थना है दारू की दूकान आस पास ही खुले तो कम से कम अपने तो बिक्री होने लगेगी !
यह था सिक्के का दूसरा पहलू !
मुझे याद है उत्तराखंड मैं 1984 में उत्तराखंड संघर्ष वाहनी ने शराब बंदी के लिए आन्दोलन चलाया गया था ! इस आन्दोलन में लोक चेतना मंच की भी भागीदारी रही ! मंच के अध्यक्ष के तौर पर मैंने भी इस आन्दोलन में भाग लिया था ! कुछ ही समय  बाद शराब बंदी कर दी गई ! नतीजतन शराब की शौक़ीन जनता ने आयुर्वेदिक अल्कोहल का सेवन करना प्रारंभ कर दिया ! मृत संजीवनी सुरा दुकान-दुकान में मिलने लगी और इसने गाँव गाँव में भी पैठ बना ली ! यह आसानी से उपलब्ध थी ! लोग रातों रात अमीर बन गए ! परन्तु सुरा का सेवन शराब के तौर पर करना स्वास्थ्य के लिए अति हानिकारक सिद्ध होने लगा ! इसलिए 1987-88 के आस पास शराब फिर मिलने लगी ! इसके लिए परमिट सिस्टम लागू किया गया l शराब की लिए प्रार्थना पत्र देने के लिए एक फॉर्म भरना पढ़ता था ! एक दिन मेरे एक मित्र ने वह फ़ार्म मुझे भी दिखाया ! उस फॉर्म में कुछ मजेदार प्रश्न हुवा करते थे, जैसे शराबी का नाम, शराबी के बाप का नाम ! पर शराब पीने वालों को शराब का मजा चाहिए इसलिए वह इसको उपेक्षित कर देते थे ! और कुछ समय बाद सारे बंधन टूट गए और आज शराब दुकानों में उपलब्ध है और जनता की सहूलियत की लिए अब स्थान स्थान पर बार खुल गए है ! इधर महिलायें शराब के प्रचलन से परेशान हो शराब के खिलाफ आन्दोलन करती दीखती है ! वैसे सरकार एक ओर शराब की अधिकतम बिक्री कर अधिकतम धनराशी एकत्रित करती है वहीं सरकार के ही आबकारी विभाग मैं मद्य निषेध का कार्यालय भी होता है ! अर्थात सरकर भी असमंजस में है ! सोचती है शराब बिके तो ख़राब, और न बिके तो भी ख़राब ! सरकार दो कारणों से शराब बंदी करने के लिए राजी नहीं होती ! एक तो उन्हें तुरंत वित्त का बहुत बड़ा नुकसान होगा ! वहीं दूसरी तरफ पिछली शराब बंदी के दुष्परिणाम भी उनके सामने है ! पुराने कटु अनुभव के बावजूद पूरे देश मैं शराब बंदी का माहौल बना हुआ है ! बिहार में शराब बंदी बहुत शख्ती से लागू की गई है ! आम जन और खास तौर पर हमारी आधी आबादी महिलायें तो शराब बंदी चाहते है ! इस हेतु वह आन्दोलन कर रही हैं ! हम लोक तन्त्र में जी रहे है और लोकतंत्र में बहुमत ही निर्णायक होता है ! सरकार को अपने प्रचंड बहुमत का उपयोग महिलाओं के पक्ष में कर शीघ्र शराब बंदी लागू करनी चाहिए !

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